Suicide in Kota: कोटा में आत्महत्या के मामलों में आई तेज़ी, टूटा सालों का रिकॉर्ड
कोटा को इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग का गढ़ माना जाता है. यहाँ हर साल हज़ारों बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की कोचिंग के लिए आते रहे हैं.
राजस्थान के कोटा में बीते दिनों छात्रों के आत्महत्या करने के मामलों में तेज़ी आई है. इस साल जिन 23 छात्रों ने कोटा में आत्महत्या की, उनमें से आधे से ज़्यादा छात्र नाबालिग़ थे. 12 छात्र ऐसे थे, जिन्होंने कोटा पहुँचने के छह महीने के भीतर ही आत्महत्या कर ली.
कोटा में आत्महत्या के मामले
आत्महत्या करने वाले ज़्यादातर लड़के थे और ये छात्र मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. ये छात्र उत्तर भारत ख़ासकर उत्तर प्रदेश और बिहार के थे. बीते सालों से कोटा को कोचिंग फैक्ट्री माना जाता रहा है. कोटा की समस्या पर एक वेब सिरीज़ कोटा फैक्ट्री भी बनी थी. कोटा में कोचिंग का कारोबार भी काफ़ी बड़ा है. यहाँ से पढ़ने और प्रवेश परीक्षा पास करने वाले छात्रों की तस्वीरें विज्ञापनों में नज़र आती रही हैं. मगर जो छात्र सफल नहीं हो पाते हैं या प्रतियोगिता और उम्मीदों का दबाव किन्हीं कारणों से सह नहीं पाते हैं, उनकी चुनौतियां ज़्यादा चिंताजनक नतीजों की ओर ले जाती हैं. हिंदुस्तान टाइम्स कोटा प्रशासन के मुहैया करवाए डेटा के आधार पर कहता है कि इस वक़्त कोटा में क़रीब सवा दो लाख छात्र नीट या जेईई की तैयारी कर रहे हैं. ये छात्र चार हज़ार हॉस्टल या फिर पांच हज़ार रजिस्टर्ड पीजी में रहते हैं.
टूटा सालों का रिकॉर्ड
2015 के बाद से ये पहली बार है, जब छात्रों ने इतनी संख्या में आत्महत्या की है. साल 2015 से सरकार ने आत्महत्या के इस आंकड़े को जुटाना पहली बार शुरू किया था. राजस्थान सरकार ने कोचिंग संस्थाओं के दो महीने तक टेस्ट लिए जाने पर रोक लगाई है. सरकार ने प्रधान सचिव के नेतृत्व में एक कमिटी भी गठित की है इस कमिटी को 15 दिन में रिपोर्ट सौंपनी है. कुछ दिन पहले राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कोटा में होती आत्महत्याओं के बारे में कहा था, ''हमने कमिटी बनाई है. कमेटी 15 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी.'' गहलोत सरकार ने कोचिंग संस्थानों और संबंधित अधिकारियों के साथ भी हाल ही में बैठक थी. कोटा में कम उम्र के बच्चे ही कोचिंग करने चले जाते हैं. नौवीं, दसवीं क्लास के बच्चे कोटा में रहकर 12वीं क्लास के बाद होने वाली प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने लगते हैं. अख़बार लिखता है कि इस बारे में कोई नियम नहीं है कि कोटा आने वाले छात्रों की उम्र क्या होनी चाहिए. आत्महत्या करने वाले एक छात्र के पिता ने कहा- अपने बच्चे को कहीं भी भेजिए, बस कोटा मत भेजिए.
आत्महत्या की घटनाओं पर बोले आनंद महिंद्रा
महिंद्रा ने छात्रों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की और अपने शब्दों के माध्यम से सांत्वना दी.
“मैं भी इस खबर से उतना ही परेशान हूं जितना आप हैं. इतने सारे उज्ज्वल भविष्यों को ख़त्म होते देखना दुखद है. मेरे पास शेयर करने के लिए कोई महान ज्ञान नहीं है. लेकिन मैं कोटा के हर छात्र से कहना चाहता हूं कि जीवन के इस पड़ाव पर आपका लक्ष्य खुद को साबित करना नहीं बल्कि खुद को ढूंढना है. किसी परीक्षा में सफलता न मिलना आत्म-अन्वेषण की यात्रा का एक हिस्सा मात्र है. इसका मतलब है कि आपकी असली प्रतिभा कहीं और है. खोजते रहो, यात्रा करते रहो. महिंद्रा ने लिखा, आप अंततः खोज लेंगे और उजागर कर लेंगे कि आपके अंदर सर्वश्रेष्ठ क्या लाता है.
I am as disturbed as you are by this news. Tragic to see so many bright futures being extinguished. I don’t have any great wisdom to share. But I would want to tell every student in Kota that your goal at this stage of life is not to prove yourself but to FIND yourself. Lack of… https://t.co/2zWUUnEE6X
— anand mahindra (@anandmahindra) August 29, 2023
कोटा, जो अपने प्रमुख कोचिंग संस्थानों के लिए जाना जाता है, में हर साल बड़ी संख्या में छात्र आते हैं, जहां उन्हें प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में सफल होने के लिए कठोर प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है. लेकिन, प्रतिस्पर्धी शिक्षा प्रणाली के केंद्र में आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या भी देखी गई है, जिससे यह पता चलता है कि यह प्रणाली युवा दिमागों पर कितना भारी दबाव और मानसिक स्वास्थ्य डाल सकती है.
कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे दो छात्रों ने रविवार को 4 घंटे के अंतराल में आत्महत्या कर ली. अधिकारियों के अनुसार, 2023 में अब तक 24 छात्रों ने अपना जीवन समाप्त कर लिया है - जो बाकी वर्षों की अपेक्षा में सबसे ज्यादा है
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