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बहुला चौथ 2023 | Bahula Chauth 2023 - रविवार, 03 सितंबर

बहुला चौथ 2023 | Bahula Chauth 2023 - रविवार, 03 सितंबर


बहुला चौथ 2023 | Bahula Chauth 2023 - रविवार, 03 सितंबर


भादौ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बहुला चतुर्थी व बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश के निमित्त व्रत किया जाता है। वर्ष की प्रमुख चार चतुर्थी में से एक यह भी है। वर्ष की प्रमुख चार चतुर्थियों में से एक यह भी है। इस दिन व्रत रखकर माताएँ अपने पुत्रों की रक्षा हेतु कामना करती हैं। बहुला चतुर्थी के दिन गेहूँ एवं चावल से निर्मित वस्तुएँ भोजन में ग्रहण करना वर्जित है। गाय तथा शेर की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजन करने का विधान प्रचलित है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा के उदय होने तक बहुला चतुर्थी का व्रत करने का बहुत ही महत्त्व है। इस बार यह चतुर्थी 03 सितम्बर, रविवार को है।


बहुला चौथ 2023 | Bahula Chauth 2023 - रविवार, 03 सितंबर


 ऐसे करें व्रत 

महिलाएं इस दिन सुबह स्नान कर पवित्रता के साथ भगवान गणेशजी की आराधना आरंभ करें। भगवान गणेशजी  की प्रतिमा के सामने व्रत का संकल्प लें। धूप, दीप, गंध, पुष्प, प्रसाद आदि सोलह उपचारों से श्रीगणेशजी का पूजन संपन्न करें। चंद्र उदय होने से पहले जितना हो सके कम बोलें।


बहुला चौथ 2023 | Bahula Chauth 2023 - रविवार, 03 सितंबर


शाम होने पर फिर से स्नान कर इसी पूजा विधि से भगवान श्रीगणेशजी की उपासना करें। इसके बाद चन्द्रमा के उदय होने पर शंख में दूध, दूर्वा, सुपारी, गंध, अक्षत से भगवान श्रीगणेशजी का पूजन करें और चतुर्थी तिथि को चंद्र्देव को अर्घ दें। इस प्रकार बहुला चतुर्थी व्रत के पालन से सभी मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही व्रती (व्रत करने वाला) के व्यावहारिक व मानसिक जीवन से जुड़े सभी संकट, विघ्न और बाधाएं समूल नष्ट हो जाते हैं। यह व्रत संतान दाता तथा धन को बढ़ाने वाला है।

बहुला चौथ 2023 | Bahula Chauth 2023 - रविवार, 03 सितंबर


व्रत कथा

बहुला चतुर्थी व्रत की कथा इस प्रकार है-

किसी ब्राह्मण के घर में बहुला नामक एक गाय थी। बहुला गाय का एक बछड़ा था। बहुला को संध्या समय में घर वापिस आने में देर हो जाती तो उसका बछड़ा व्याकुल हो उठता था। एक दिन बहुला घास चरते हुए अपने झुण्ड से बिछड़ गई और जंगल में काफ़ी दूर निकल गई| जंगल में वह अपने घर लौटने का रास्ता खोज रही थी कि अचानक उसके सामने एक खूँखार शेर आ गया। शेर ने बहुला पर झपट्टा मारा। तब बहुला उससे विनती करने लगी कि उसका छोटा-सा बछड़ा सुबह से उसकी राह देख रहा है। वह भूखा है और दूध मिलने की प्रतीक्षा कर रहा है। आप कृपया कर मुझे जाने दें। मैं उसे दूध पिलाकर वापिस आ जाऊँगी, तब आप मुझे खाकर अपनी भूख को शांत कर लेना।


शेर को बहुला पर विश्वास नहीं था कि वह वापिस आएगी। तब बहुला ने सत्य और धर्म की शपथ ली और सिंहराज को विश्वास दिलाया कि वह वापिस जरूर आएगी। शेर से बहुला को उसके बछड़े के पास वापिस जाने दिया। बहुला शीघ्रता से घर पहुँची। अपने बछडे़ को शीघ्रता से दूध पिलाया और उसे बहुत चाटा-चूमा। उसके बाद अपना वचन पूरा करने के लिए सिंहराज के समक्ष जाकर खडी़ हो गई। शेर को उसे अपने सामने देखकर बहुत हैरानी हुई। बहुला के वचन के सामने उसने अपना सिर झुकाया और खुशी से बहुला को वापिस घर जाने दिया। बहुला कुशलता से घर लौट आई और प्रसन्नता से अपने बछडे़ के साथ रहने लगी। तभी से बहुला चौथ का यह व्रत रखने की परम्परा चली आ रही है।


बहुला चौथ 2023 | Bahula Chauth 2023 - रविवार, 03 सितंबर


अन्य प्रसंग

एक अन्य कथा के अनुसार ब्रज में कामधेनु के कुल की एक गाय बहुला थी। यह नन्दकुल की सभी गायों में सर्वश्रेष्ठ गाय थी। एक बार भगवान कृष्ण ने बहुला की परीक्षा लेने की सोची। एक दिन जब बहुला वन में चर रही थी, तभी सिंह के रूप में श्रीकृष्ण भगवान ने उन्हें दबोच लिया। बाकी की कथा उपरोक्त लिखित कथा के आधार पर है। बाद में कृष्ण भगवान ने कहा कि बहुला तुम्हारे प्रभाव से और सत्य के कारण कलयुग में घर-घर में तुम्हारा पूजन किया जाएगा। इसलिए आज भी गायों की पूजा की जाती है और वह गौमाता के नाम से पुकारी जाती हैं।


ज्योतिषविदों के अनुसार इस प्रकार बहुला चतुर्थी व्रत के पालन से सभी मनोकामनाएँ पूरी होने के साथ ही व्रत करने वाले मनुष्य के व्यावहारिक व मानसिक जीवन से जुड़े सभी संकट दूर हो जाते हैं। यह व्रत संतानदाता तथा धन को बढ़ाने वाला माना जाता है।


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