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कुतुबुद्दीन ऐबक कैसे मरा | How did Qutubuddin Aibak die?

कुतुबुद्दीन ऐबक कैसे मरा | How did Qutubuddin Aibak die? 

कुतुबुद्दीन ऐबक कैसे मरा | How did Qutubuddin Aibak die?


कुतुबुद्दीन ऐबक घोड़े से गिर कर मरा, यह तो सब जानते हैं, लेकिन कैसे ???


वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी का महान 'चेतक' सबको याद है, लेकिन  शायद स्वामी भक्त  'शुभ्रक' नहीं होगा !!


तो मित्रो आज सुनिए कहानी 'शुभ्रक' की......


कुतुबुद्दीन ऐबक ने राजपूताना में जम कर कहर बरपाया और मेवाड़ (उदयपुर) के 'राजकुंवर कर्णसिंह' को बंदी बनाकर लाहौर ले गया। 

कुंवर का 'शुभ्रक' नामक एक सवामीभक्त घोड़ा था, जो कुतुबुद्दीन को पसंद आ गया और वो उसे भी साथ ले गया। एक दिन कैद से भागने के प्रयास में कुँवर को सजा-ए-मौ'त सुनाई गई.. और सजा देने के लिए 'जन्नत बाग' में लाया गया। यह तय हुआ कि राजकुंवर का सिर क!टकर उससे 'पोलो' (उस समय उस खेल का नाम और खेलने का तरीका कुछ और ही था) खेला जाएगा..


कुतुबुद्दीन ख़ुद, कुँवर के ही घोड़े 'शुभ्रक' पर सवार होकर अपनी खिलाड़ी टोली के साथ 'जन्नत बाग' में आया। 'शुभ्रक' ने जैसे ही कैदी अवस्था में अपने राजकुंवर को देखा, उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे। जैसे ही सिर कलम करने के लिए कुँवर सा की जंजीरों को खोला गया, तो 'शुभ्रक' से रहा नहीं गया.. उसने उछलकर कुतुबुद्दीन को घोड़े से गिरा दिया और उसकी छाती पर अपने मजबूत पैरों से कई वार किए, जिससे कुतुबुद्दीन के प्राण पखेरू उड़ गए! इस्ल!मिक सैनिक अचंभित होकर देखते रह गए..  मौके का फायदा उठाकर कुंवर, सैनिकों से छूटे और 'शुभ्रक' पर सवार हो गए। 'शुभ्रक' ने हवा से बाजी लगा दी। अपने स्वामी के रक्षार्थ, शुभ्रक मेवाड़ तक दौड़ा और महल के सामने आकर ही रुका! 


राजकुंवर घोड़े से उतरे और अपने प्रिय अश्व को पुचकारने के लिए हाथ बढ़ाया, तो पाया कि वह तो प्रतिमा बना खडा था.. उसमें प्राण नहीं बचे थे। सिर पर हाथ रखते ही 'शुभ्रक' का निष्प्राण शरीर लुढक गया.. 


भारत के इतिहास में यह तथ्य कहीं नहीं पढ़ाया जाता क्योंकि वाम पंथी लेखक अपने नाजा'यज बा'प की ऐसी दुर्गति वाली मौ'त बताने से हिचकिचाते हैं! जबकि फारसी की कई प्राचीन पुस्तकों में कुतुबुद्दीन की मौ'त इसी तरह लिखी बताई गई है। 


नमन स्वामीभक्त 'शुभ्रक' को..

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