Major Dhyanchand : जब मेजर ध्यानचंद के जवाब से हिटलर के पैरों तले जमीन खिसक गई थी
हॉकी के जादूगर पद्मभूषण से सन्मानित मेजर ध्यानचंद जी पर विशेष लेख
1936: जर्मनी
मेजर ध्यानचंद 1936 जर्मनी के साथ हॉकी वर्ल्डकप फाइनल में खेलने गए। स्टेडियम में 25,000 लोग हाजिर थे और वहां 16:1 से जर्मनी को रोंद डाला...! 15 गोल उन्होने अकेले ही दागे थे...!!
जर्मनी का तानाशाह हिटलर उस दिन स्टेडियम में हाजिर था। सहसा वो नीचे उतरा और ध्यानचंद की हॉकी तोडने की बात कही "इसकी हॉकी तोड़ो, शायद किसी प्रकार का कोई चुंबक होगा, देखते है क्या छुपाया है इसने हॉकी मे"... तोड़ दी गई ध्यानचंद हॉकी लेकिन एसा कुछ न पाया...!
तानाशाह हिटलर ध्यानचंद से अत्यंत प्रभावित हुए और रात को मिलने को कहा...
रात हिटलर ध्यानचंद से मिले और कहा हॉकी खेलने के आलावा और क्या करते हो...?
लांसनायक ध्यानचंद ने जवाब दिया, मैं भारतीय सेना में हूँ...
हिटलर बोले तुम इतने बडे खिलाडी होकर भी आर्मी में सिर्फ सूबेदार हो...? तुम्हारे देश ने तुम्हे क्या दिया?
अरे... जर्मनी आ जाओ और जर्मनी से खेलो, मैं तुम्हें "एयर फिल्ड मार्शल" बना दूंगा...!!
बात देश की आयी तो मेजर ध्यानचंद ने कहा, मिस्टर हिटलर, मेरे देश की जिम्मेदारी नही है मुझे आगे बढाने की, बल्कि मेरी जिम्मेदारी है मेरे देश को आगे बढाने की...!
में मेरे देश में खुश हूँ और मेरे देश के लिए ही खेलूंगा...!!
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