अमृतकाल | Immortality
उसी दौरान अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश द्वितीय भारत की यात्रा पर आए हुए थे और प्रोटोकॉल के तहत उन्हें राजघाट पर जाना था.
फिर क्या था... बुश के आने से पहले बुश के सुरक्षा अधिकारियों ने अपने राष्ट्रपति के आने से पहले राजघाट पर अपने खोजी कुत्तों को ले कर चले गए और तर्क दिया गया कि... अपने राष्ट्रपति के सुरक्षा का ध्यान रखना हमारी जिम्मवारी है.
इसी तरह साल 2011 में उन्हीं मन मोहन सरकार के कार्यकाल में हमारे पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध डॉक्टर अब्दुल कलाम को न्यूयार्क एयरपोर्ट पर रोक लिया गया एवं सुरक्षा जाँच के नाम पर उनके जूते तक उतरवा लिए गए..!
ये दोनों घटना और कुछ नहीं बल्कि सीधे सीधे भारत और भारत की संप्रभुता का अपमान था.
इन दोनो घटनाओं के माध्यम से मानो अमेरिका ... भारत को यही कह रहा था कि.... देख लो, मेरे सामने तुम्हारी यही औकात है.
इसके अलावा.... भारत आये विदेशी राजनयिक अथवा राष्ट्राध्यक्ष द्वारा ताजमहल या फिर मोइद्दीन चिश्ती की दरगाह जाना तो आम था जिसके लिए हमलोग हैबीचुअल हो चुके थे.
लेकिन, समय बदला और तख्तोताज बदल गए...
और, अब 2023 में मोदी जी का कालखंड है जिसमें.... कुत्ते या जांच एजेंसी तो छोड़ो... अमरीका समेत विश्व के सभी बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष को अपने जूते उतार कर मोदी के पीछे पीछे राजघाट जाना पड़ता है..!
और तो और.... जहाँ पहले विदेशियों के पसंद से भारत का मीनू बनता था कि साहब को ये पसंद है इसीलिए हम उन्हें यही खिलाएंगे...
वहीं अब... अपनी पसंद का मीनू बनता है कि हमको यही पसंद है इसीलिए हम आपको यही खिलाएंगे...!
सिर्फ इतना ही नहीं.... अब विदेशी राष्ट्राध्यक्ष कोई ताजमहल घूमने नहीं जाता है बल्कि वो भारतीय परंपरा के अनुसार अक्षरधाम मंदिर पूजा करने को जाता है.
इसीलिए, मानो या न मानो....
लेकिन, अभी भारत में आजादी का सिर्फ अमृतकाल ही नहीं चल रहा है बल्कि अभी सांस्कृतिक एवं प्रभाव की दृष्टि से भी अभी भारत का स्वर्णिम काल चल रहा है.
और, भारत अब अपने आप को विश्वपटल पर एक दबंग के रूप में तेजी से स्थापित कर रहा है.
नोट : अगर यही ट्रेंड चलता रहा तो....
अगली बार जब कोई ऐसा इंटरनेशन समिट होगा तो अधिकांश विदेशी राष्ट्राध्यक्ष अयोध्या के श्री राम मंदिर और महाकाल कॉरिडोर ही जायेंगे..
0 टिप्पणियाँ