BJP ने PDP को समर्थन क्यों दिया | Why did BJP support PDP?
(आराम से दिल और दिमाग लगा के पढकर समझने की कोशिश कीजिये )
मोदी सरकार ने सबसे बड़ा जुआ खेला था पीडीपी को समर्थन देकर और बाद में मुफ्ती सरकार गिराने का।
अगर उस विधानसभा चुनाव के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी एक साथ आकर सरकार बनाने का दावा पेश कर देते तो उनकी सरकार चलती रहती और राज्य में राज्यपाल शासन नहीं लग पाता।
370 हटाने की जो शर्त थी कि राष्ट्रपतिजी से 370 हटाने की अनुशंसा राज्य की विधानसभा को करनी होगी वो शर्त पूरी नहीं होती। क्योंकि पीडीपी नेशनल कॉन्फ्रेंस और कौंग्रेस कभी भी यह अनुशंसा नहीं करते। यही वह शर्त थी जिसके भरोसे कश्मीरी लीडर फुदकते थे कि केंद्र में कितनी भी मजबूत सरकार हो 370 हटा नहीं सकती। उन्हें विश्वास था कि कश्मीर में किसी की भी सरकार बने, विधानसभा से 370 हटाने की अनुशंसा कभी होगी ही नहीं।
भाजपा का पीडीपी के साथ गठबंधन बहुतो को रास नहीं आया था। लेकिन इस गठबंधन का फायदा पूरे देश को हुआ और बुराई सिर्फ BJP को मिली. इस गठबंधन से भाजपा को सत्ता के अलमारी तथा तिजोरी की चाबी हाथ मे मिली.
अलमारी/तिजोरी खोलकर सभी महत्वपूर्ण दस्तऐवज प्राप्त किये. वो ऐसें दस्तावेज थे जिसमे केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त हुए निधी का भारत विरोधी कारवाई के लिये उपयोग किया जाता था.
इतना ही नही पुरे भारत देश से जो टेक्स के मार्फत प्राप्त हुयी राशी का बहुत बडा हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर के उपर खर्च किया जाता था.उसी राशी मे फारुख अब्दुल्ला, ओमर अब्दुल्ला, मेहबुबा मुफ्ती आदि ने बहुत सारी जमीन जयदाद एवं संपत्ती जमा की थी
जिसके दस्तवेज ढाई साल मे भाजपा ने जमा किये भ्रष्टाचार के वो दस्तवेज आज केंद्र सरकार के पास जमा है इसलिये फारुख अब्दुला, मेहबुबा मुफ्ती, ओमर अब्दुला एवं काँग्रेस सरकार चुप बैठी है
भाजपा के साथ जाने की वजह से पीडीपी, अब्दुल्ला और काँग्रेस के लिए अछूत हो गयी। अब्दुल्ला और कांग्रेस दोनों को लगा कि भाजपा की साथी रही पार्टी को अगर अभी सपोर्ट किया तो उनका मुस्लिम वोट बैंक नाराज हो जाएगा।
इसी वजह से भाजपा की समर्थन वापसी के बाद दोनों ही दलों ने पीडीपी से किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना को नकार दिया। और केंद्र सरकार को J & K में राष्ट्रपति शासन लगाने का मोका मिल गया
यही 370 खत्म होने की नींव पड़ गयी थी। क्योंकि विधानसभा की अनुपस्थित में उस राज्य के सम्बंध में राज्यपाल संवैधानिक निर्णय ले सकता है
भाजपा की इस स्ट्रेटेजी को न काँग्रेस, न महबूबा और न अब्दुल्ला समझ पाया। और उनकी इन्ही मूर्खता का लाभ भारत को मिला।
धारा 370 वैसे तो जम्मू-कश्मीर सरकार की अनुमति के बगैर हट नही सकती,,,,पर, मोदी SC ST AMENDMENT BILL से कश्मीर में कानून बना चुके थे की अगर कश्मीर में चुनी हुई सरकार न हो तो गवर्नर सारे निर्णय ले सकते है
ये बिल जब पास हो रहा था तब मूर्ख विपक्ष को ये पता ही नही चला कि मोदी ये क्यों कर रहा है!
आरक्षण की बात थी इसलिये विपक्ष ने बड़े जोश से इस बिल का समर्थन किया, पर आरक्षण के बहाने मोदी ने गवर्नर को सारे हक् दे दिए। और बाद मे गवर्नर ने 370 हटाने की सिफारिश की और जब दोनों सदनों से 370 हटाने का बिल पास हो गया तब राष्ट्रपति ने 370 हटाने के आदेश पर सहमती भी दे दी.
जब 370 धारा हट रही थी तब पता चला कि मोदीजी ये गेम कब से सेट कर रहे थे ! ओर धारा 370 हटाने से दो दिन पहले UAPA बिल पास किया, मतलब अगर कोई अड़ंगा डालेगा तो सीधा जेल जाएगा ।
Check and Mate धारा 370 हटाने की नींव 2014 से रखी गयी थी, पूरे घटनाक्रम में महबूबा मुफ्ती की सबसे बड़ी गलती की उसने मोदी से हाथ मिला कर कश्मीर में अपनी सरकार बनाई।
मोदी को बहाना चाहिए था राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए, जो महबूबा की गलतियों की वजह से लगा दिया गया। अगर, महबूबा कोंग्रेस या नेशनल कांफ्रेंस से हाथ मिलाती तो शायद ये संभव न होता। मोदी के बिछाए शतरंज के इस खेल में सारे प्यादे एक - एक करके गिरते गए, आखिर में बची रानी के लिए वजीर ही काफी था ।
“द्वंद कहाँ तक पाला जाए,
युद्ध कहाँ तक टाला जाए,
तू भी है राणा का वंशज,
फेंक जहाँ तक भाला जाए ,
दोनों तरफ़ लिखा हो भारत
सिक्का वही उछाला जाए.!”
आज राहुल गांधी एवं काँग्रेस सरकार पुरे देश को वचन दे रही है की यदि उन्हे सत्ता मे वापस बिठा जाये तो धारा 307 वापस लाएंगे
क्या आप सभी देशवासीयौ के कर द्वारा प्राप्त हुआ पैसा वापस कश्मीर के उपर खर्च करके भारत विरोधी कारवाई के लिये देना चाहते ?
यदि भारत देश से प्यार करते हो तो उपर की रणनीती समझकर समर्थन करो
भारत माता की जय
वंदे मातरम
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