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बल्लभगढ़ में एक दिव्यांग राजा राज्य करता था, जिसके राज्य में कहीं कोई समस्या नहीं थी सभी लोग उसके राज्य में खुश थे।
राज्य की प्रजा ऊपर वाले को धन्यवाद करती थी की हमें इतना अच्छा राजा मिला है, पर राजा की एक आंख और एक पैर नहीं था।
एक दिन राजा अपनी महल की गैलरी में घूम रहा था। उस गलियारे में घूम रहा था जहाँ उसके पूर्वजों की पेंटिंग लगी हुई थी। राजा इन सभी पेंटिंग को देख रहा था। उस गलियारे में शानदार पेंटिंग लगी थी।
उसके परदादा , उसके दादा, उसके पिताजी की पेंटिंग को देखते-देखते निहारते हुए सोच रहा था कि कितने शूरवीर खानदान में मुझे जन्म लेने का मौका मिला ऊपर वाले का धन्यवाद मेरे पिताजी इतने शूरवीर थे।
आखरी पेंटिंग की जगह एक खाली फ्रेम लगा हुआ था। उसे देख वो चिंता में पड़ गया। उसे मालूम था कि उसे खाली फ्रेम में जो पेंटिंग लगेगी वो उसकी होगी।
लेकिन उसे इस बात की चिंता नहीं थी की वो मरने वाला है। वो जनता था की मरना तो एक न में दिन सबको है पर उसे इस बात की चिंता थी कि जो उसके पूर्वजों की पेंटिंग लगी हैं वो सभी बहुत शानदार है।
राजा सोचने लगा की कि मेरी एक आंख नहीं है पैर नहीं है इस गलियारे में इतनी शानदार पेंटिंग लगी है मेरी पेंटिंग सबसे खराब लगेगी। उसे अंदर ही अंदर यह चिंता होने लगी।
राजा ने सोचा कि मेरे मरने के बाद में ना जाने कैसी पेंटिंग यहां लग जाये। इसलिए मैं एक काम करता हूं। कभी मैं जिंदा हूं इसी बीच में एक शानदार पेंटिंग बनाता हूं ताकि कम से कम यह तो सुकून तो रहे की यहां मेरी अच्छी पेंटिंग लगेगी।
उसने राज्य में एलान करवा दिया जिसमे राज्य के सभी पेंटरों को न्योता दिया गया की जो भी राजा साहब की शानदार तस्वीर बनाएगा उसे शानदार इनाम मिलेगा।
इस बात को सभी जान गए कि यदि तस्वीर शानदार बनेगी तो शानदार इनाम मिलेगा। लेकिन शानदार पेंटिंग बनेगी कैसे। क्योंकि राजा की एक आंख नहीं है पैर नहीं है। सभी सोच रहे थे की शानदार पेंटिंग को छोड़िए अगर पेंटिंग खराब बन गई और राजा गुस्सा हो गया तो कड़ी सजा मिलेगी। यह सोच कोई पेंटर आगे नहीं आया।
पर एक लड़का सामने आया और बोला की मैं राजा की पेंटिंग बनाना चाहता हूं, मुझे 24 घंटे का वक्त दीजिये। बड़े-बड़े पेंटर आश्चर्य में पड़ गए कि लड़का क्या चाहता है फांसी पर लटकना चाहता हैं। राजा को गुस्सा दिलाना चाहता है। ये क्या पेंटिंग बनाएगा।
राजा को उस लड़के पर भरोसा था उसने बोला कि ठीक है आप बनाकर लाइए।
24 घंटे बाद और लड़का पेंटिंग बना कर राजा को दिखाने लाया। राजा का दरवार उस लड़के की पेंटिंग देखने के लिए भर चुका था। सभी लोग यह देखना चाहते थे की लड़का क्या पेंटिंग बनाकर लाया है।
राजा ने जब पेंटिंग देखी तो बहुत प्रसन्न हो गया। उसने सोचा इतनी शानदार पेंटिंग तो उस गलियारे में भी नहीं है। यह सर्वश्रेष्ठ है। राजा ने उस लड़के को बड़ा इनाम दिया। उस दरवार में उपस्थित सभी लोगों की तरह आप भी सोच में पड़ गए होंगे की आखिर वो लड़का क्या पेंटिंग बनाकर लाया होगा ?
लड़के ने उस राजा को एक घोड़े पर सवार दिखाया। जिसमे राजा का एक पैर दिखाया, यह साफ़ समझ आ रहा था की दूसरा पैर घोड़े के दूसरी तरफ होगा। पेंटिंग में राजा तीरंदाजी कर रहा है। निशाना साधे हुए था और जब निशाना साधते हैं तो एक आँख बंद हो जाती है।
जिस तरह उसे लड़के को अपने ऊपर विश्वास था की वो यह पेंटिंग बना लेगा और उसने पूरी समझदारी के साथ पेंटिंग बनाई। दोस्तों, इसी तरह हमारे सामने भी कई चुनौतियां आती हैं पर हमें हार मानने की बजाये सकारात्मकता और बुद्धिमता के साथ उसका सामना करना चाहिए।
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