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History of ocher : तिरंगे के चक्कर में भगवा का इतिहास मत भूल जाना

History of ocher : तिरंगे के चक्कर में भगवा का इतिहास मत भूल जाना 


History of ocher : तिरंगे के चक्कर में भगवा का इतिहास मत भूल जाना


- स्कूल के वक्त में मुझको भी तिरंगे से बहुत प्रेम था क्योंकि मुझे यही समझाया गया था कि तिरंगा हमारा राष्ट्रीय ध्वज है और इसी तिरंगे के लिए क्रांतिकारियों ने अपनी जान दी है 


-लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ा हुआ और मैंने इतिहास का अध्ययन शुरू किया तो मुझे ये जानकारी मिली कि हमें स्कूलों में जो पढ़ाया गया वो पूरी तरह झूठ है । 


-भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, राम प्रसाद... तिरंगे के लिए नहीं बल्कि भगवा रंग के लिए बलिदान हुए थे । क्रांतिकारियों का ये गीत बहुत प्रसिद्ध है... मेरा रंग दे बसंती चोला... माए रंग दे ! 


-1857 में अंग्रेजों के खिलाफ जंग भी भगवा ध्वज के ही तले लड़ी गई थीं । रानी झांसी की सेना का रंग भगवा था । पेशवा नाना साहब  के झंडे का रंग भी भगवा था । मुगल बादशाह बहादुर शाह तो सिर्फ नाम का बादशाह था और उसका लक्ष्य मुगलों की हिंदुस्तान में वापसी ही था और उसने कोई युद्ध भी नहीं लड़ा आखिर में उसके बच्चों को अंग्रेजों ने अपनी तलवारों से काट डाला, उसके पूर्वजों ने हिंदुओं पर जो अत्याचार किए थे उसे उचित ही दंड ईश्वर द्वारा मिला ऐसा मेरा विचार है । 


- गैरिक स्वर्ण भगवा शुरुआत से ही भारत के तमाम हिंदू रियासतों का राजनीतिक और सैन्य ध्वज था । श्री राम ने रावण को मारा तो श्री राम की सेना का ध्वज भी भगवा ही था । जितने भी विदेशी हमलावरों ने भारत पर हमले किए । भारत के वीरों ने लड़ाई भगवा ध्वज के तले ही लड़ी थी । सिकंदर के खिलाफ पुरु ने जंग लड़ी और पुरु की सेना का ध्वज भी भगवा था । मुहम्मद बिन कासिम, तैमूर, बाबर, अब्दाली, नादिरशाह, खिलजी इन सब आक्रांताओं से जो हिंदू सेनाएं लड़ीं उनके धव्ज का रंग भी भगवा ही था । 


-बाद में मुगलों से देश को मुक्ति दिलाई सिखों ने जिनकी सेना का रंग भगवा था । छत्रपति शिवाजी महाराज से लेकर पेशवा बाजीराव तक मुगलों का सफाया करने वाली मराठा सेनाओं का रंग भगवा था । इस भगवा रंग के लिए भारत के करोड़ों वीरों ने अपना बलिदान किया है इसे हम कैसे भूल सकते हैं । 


-फिर अचानक तिरंगा वैसे ही पैराशूट फ्लैग की तरह आया जैसे राहुल गांधी अमेठी से पहली बार पैराशूट उम्मीदवार बनकर अमेठी में चुनाव लड़ने आए थे । 


-जब मुस्लिम लीग ने 1906 के बाद भारत में अपनी राजनीति शुरू की तो उन्होंने अपना झंडा हरा रखा जिस पर चांद तारा था । भारत के अधिकांश मुसलमान कांग्रेस नहीं मुस्लिम लीग के साथ थे । इसलिए कांग्रेस और गांधी ने मुसलमानों की चापलूसी करने के लिए और मुसलमानों को कांग्रेस के साथ लाने के लिए एक नया सेकुलर झंडा बनाया जिसमें भगवा को कम करके हरा रंग और सफेद रंग घुसेड़ दिया लेकिन नोट करने वाली बात ये है कि इसके बाद भी मुसलमानों ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया बल्कि वो जिन्ना के साथ ही रहे । जिन्ना को अभूतपूर्व राजनीतिक सफलता मिली और ईनाम में मुसलमानों को पाकिस्तान मिल गया देश बंट गया । 


-खुद महात्मा गांधी ने ये कहा था कि हरा रंग मुसलमानों का है और सफेद रंग बाकी अल्पसंख्यकों का है । अंग्रेजों के चले जाने के बाद जब संविधान सभा में तिरंगे पर चर्चा हुई तो ये विरोध हुआ था कि जब पाकिस्तान बन चुका है और मुसलमानों को एक देश दिया जा चुका है तो अब तिरंगे को खत्म क्यों नहीं किया जाता... हरा रंग क्यों नहीं हटाया जाता ? लेकिन नेहरू के पास इसका कोई उचित जवाब नहीं था 


-जैसा कि नेहरू खुद को पंडित ही लिखता था लेकिन उसका आचरण मुस्लिम और ईसाई सभ्यता के ज्यादा करीब था उसने भारत के झंडे को तिरंगा ही रखा और इस तरह बचे हुए खंडित भारत में भी मुसलमानों का 30 पर्सेंट का दावा हो गया क्योंकि तिरंगे में हरा भी 30-35 पर्सेंट ही है जबकि ये हिंदुओं के साथ अन्याय है क्योंकि मुसलमानों को पहले ही एक देश मिल चुका था । 


-हिंदुओं पर अन्यायपूर्वक थोपा गया झंडा तिरंगा... भगवा का अपमान है क्योंकि भगवा ने ही इस भारतीय भूमि और संस्कृति की रक्षा की है तो राष्ट्रीय ध्वज के पद पर भी भगवा का ही अभिषेक किया जाना चाहिए था । 


-बीजेपी तिरंगा यात्रा निकलवाती रही । भले ही कोई सॉलिडि हिंदूवादी पार्टी ना होने की वजह से बीजेपी को वोट देना हमारी मजबूरी है लेकिन बीजेपी के द्वारा की गई हर गलत बात को मान लेने के लिए हम मजबूर नहीं हैं । 


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