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रक्षाबंधन पर ये दस प्रकार का स्नान बड़ा पुण्यदायी स्नान होता है | Shrawan Purnima these 10 kind of Spiritual Bath is very Auspicious on Rakshabandhan

रक्षाबंधन पर ये दस प्रकार का स्नान बड़ा पुण्यदायी स्नान होता है | Shrawan Purnima these 10 kind of Spiritual Bath is very Auspicious on Rakshabandhan

रक्षाबंधन पर ये दस प्रकार का स्नान बड़ा पुण्यदायी स्नान होता है | Shrawan Purnima these 10 kind of Spiritual Bath is very Auspicious on Rakshabandhan


श्रावण महिने में रक्षाबंधन की पूर्णिमा 30 अगस्त 2023 बुधवार वाले दिन वेदों में दस प्रकार का स्नान बताया गया है |


1.  भस्म स्नान – 

उसके लिए यज्ञ की भस्म थोडीसी लेकर वो ललाट पर थोड़ी शरीर पर लगाकर स्नान किया जाता है | यज्ञ की भस्म अपने यहाँ तो है आश्रम में, पर समझो आप अपने घर पर किसी को बताना चाहें की यज्ञ की भस्म थोड़ी लगाकर श्रावणी पूर्णिमा को दसविद स्नान में पहले ये बताया है | तो वहाँ यज्ञ की भस्म कहाँ से आयेगी तो गौचंदन धूपबत्ती घरों में जलाते हैं  साधक | शाम को गौचंदन धूपबत्ती जलाकर जप करें अपने इष्टमंत्र, गुरुमंत्र का तो वो जलते जलते उसकी भस्म तो बचेगी ना | तो जप भी एक यज्ञ है | तो गौचंदन की भस्म होगी यज्ञ की भस्म पवित्र मानी जाती है | वैसे गौचंदन है वो, देशी गाय के गोबर, जड़ीबूटी और देशी घी से बनती है | तो पहला भस्म स्नान बताया है |


2. मृत्तिका स्नान - 

साफ पीली मिट्‌टी को रात को गला दें। सुबह मिट्‌टी को शरीर पर लगा लें। 45 मिनट तक धूप में बैठें। इसके बाद ठंडे पानी से नहा लें।


3. गोमय स्नान – 

गोमय स्नान माना गौ  गोबर उसमे थोडा गोझरण ये मिक्स हो उसका स्नान (उसका मतलब थोडा ले लिया और शरीर को लगा दिया ) क्यों वेद ने कहा इसलिए गौमाता के गोबर में (देशी गाय के) लक्ष्मी का वास माना गया है | गोमय वसते लक्ष्मी पवित्रा सर्व मंगला | स्नानार्थम सम संस्कृता देवी पापं हर्गो मय || तो हमारे भीतर भक्तिरूपी लक्ष्मी बढ़ती जाय, बढ़ती जाय जैसे गौ के गोबर में लक्ष्मी का वास वो हमने थोडा लगाकर स्नान किया, हमारे भीतर भक्तिरूपी संपदा बढती जाय | गीता में जो दैवी लक्षणों के २६ लक्षण बतायें हैं  वो मेरे भीतर बढ़ते जायें | ये तीसरा गोमय स्नान |


4. पंचगव्य स्नान – 

गौ का गोबर, गोमूत्र, गाय के दूध के दही, गाय का दूध और घी ये पंचगव्य | कई बार आपको पता है पंचगव्य पीते हैं  | तो पंचगव्य स्नान थोड़ा सा ही बन जाये तो बहुत बढियाँ नहीं बने तो गौ का गोबरवाला तो है | माने पाँच तत्व से हमारा शरीर बना हुआ है वो स्वस्थ रहें, पुष्ट रहें, बलवान रहें ताकी सेवा और साधना करते रहे, भक्ति करते रहें |


5. गोरज स्नान – 

गायों के पैरों की मिट्टी थोड़ी ले ली, और वो लगा ली | गवां ख़ुरेंम ये वेद में आता है इसका नाम है दशविद स्नान | रक्षाबंधन के दिन किया जाता है | गवां ख़ुरेंम निर्धुतं यद रेनू गग्नेगतं | सिरसा तेल सम्येते महापातक नाशनं || अपने सिर पर वो गाय की खुर की मिट्टी लगा दी तो महापातक नाशनं | ये वेद भगवान कहते हैं  |


6.  धान्यस्नान – 

जो हमारे गुरुदेव सप्तधान्य स्नान की बात बताते हैं | वो सब आश्रमों में मिलता है | गेंहूँ, चावल, जौ, चना, तिल, उड़द और मुंग ये सात चीजे | ये धान्यस्नान बताया | धान्योषौधि मनुष्याणां जीवनं परमं स्मरतं तेन स्नानेन देवेश मम पापं व्यपोहतु | सप्तधान स्नान ये भी पूनम के दिन लगाने का विधान है | 


7. फल स्नान – 

वेद भगवान कहते हैं फल स्नान मतलब कोई भी फल का थोडा रस लगा दिया | और कोई नहीं तो आँवला बढियाँ फल है | आँवला हरा तो मिलेगा नहीं तो थोडा आँवले का पाऊडर  ले लिया और लगा दिया  गया हो फल स्नान | मतलब हमारे जीवन में अनंत फल की प्राप्ति हो और सांसारिक  फल की आसक्ति छूट जाय | इसलिए आज पूर्णिमा को हे भगवान फल के  रस से थोडा स्नान कर रहें हैं | किसी को और फल मिल जाये और थोडा लगा दिये जाय तो कोई घाटा नहीं हैं |


8. सर्वोषौधि स्नान – 

सर्वोषौधि माना आयुर्वेदिक औषधि खाना नहीं | इस स्नान में कई जड़ीबूटी आती हैं  | उसमे दूर्वा, सरसों, हल्दी, बेलपत्र ये सब डालते हैं  उसमें वो थोडासा पाऊडर  लेके शरीर पर रगड के स्नान किया जाता है | मेरी सब इन्द्रियाँ आँख, कान, नाक, जीभ,त्वचा ये सब पवित्र हो | इसमें सर्वोषौधि स्नान, और मेरा मन पवित्र रहें| मेरे मन में किसी के प्रति बुरे विचार न आये |


9. कुशोधक स्नान – 

कुश होता है वो थोडा पानी में मिला दिया और थोडा पानी हिला दिया | क्योंकि जो अपने घर में कुश रखते हैं ना तो उनके पास कोई मलिन आत्माएँ नहीं आ सकती | भूत, प्रेत आदि का जोर नहीं चलता | कुश क्या है ? जब भगवान का धरती पर वराह अवतार हुआ था | तो उनके शरीर से वो उखणकर जमीन पर गिरने लगे वही आज कुश के रूप में पाये जाते हैं, वो परम पवित्र है | वो कुश जहाँ पर हो वहाँ पर मलिन आत्मा नहीं आती हो तो भाग जाती हैं | तो कुश  पानी में थोडा हिला दिया और प्रार्थना कर दी की, मेरे मन में जो मलिन विचार हैं, गंदे विचार हैं  या कभी कभी आ जाते हैं वो सब भाग जाये | हरि ॐ ... हरि ॐ ... ॐ ,... करके उसे पानी में नहा दिया |

1०.  हिरण्य स्नान – 

हिरण्य स्नान माने अगर अपने पास कोई सोने की चीज है | कोई सोने का गहना वो बाल्टी में डाल दिया, हिला दिया और स्नान कर लिया | हिलाने के बाद वो निकाल लेना बाल्टी में पड़ा नहीं रहे |


 तो ये दशविद स्नान वेद में बताया | श्रावण मास के पूर्णिमा का दिन किया जाता है | आप इसमें से आप जितने कर सकते हो उतने कर लेना | १ – २ न कर पाये तो जय सियाराम ... कह दें प्रभु ! हमसे जितना हो सकता था वो किया |


और जब शरीर पर पानी डाल रहे हैं तो ये श्लोक बोलना –


नमामि गंगे तव पाद पंकजं सुरासुरैः वंदित दिव्यरूपं |

भुक्तिचं मुक्तिचं ददासनित्यं भावानुसारें न सारे न सदा स्मरानाम ||

गंगेच यमुनेच गोदावरी सरस्वती नर्मदे सिंधु कावेरी | जलस्म्ये सन्निधिं कुरु ||

 ॐ ह्रीं गंगाय ॐ ह्रीं स्वाहा ||


तीर्थों का स्मरण करते हुये स्नान करें | तो ये बड़ा पुण्यदायी स्नान श्रावण पूर्णिमा (रक्षाबंधन) के दिन प्रभात को किया जाना चाहिये ऐसा वेद का आदेश है |

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